मेरा मन

हमारे जीवन में मन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मन एक ऐसा माध्यम है जो हमें विषयो से जोड़ता है परन्तु विषयो का चुनाव हम स्वयं करते है. मन तो सिर्फ बीच की कड़ी होता है.

जब हम मन के माध्यम से किसी विषय से जुड़ते है तो उस विसय के गुंड -दोस के अनुसार हमारे भीतर विचार आने लगते है और इस प्रकार विषयो के साथ हमारा जुड़ाव और भी गहरा होता जाता है. यह प्रक्रिया बहुत ही स्वाभाविक रूप से होती है , बिना प्रयास के होती है हमारा इस पर धयान भी नहीं होता और लगातार यह प्रक्रिया चलती रहती है, परन्तु इसका हमारे जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ता रहता है.
इस प्रक्रिया के दो छोर है, एम हम और दूसरा विषय, मन सिर्फ दोनों के बीच की एक कड़ी है.
जिस प्रकार दो वस्तुए एक दूसरे से मिलती है तो इनके गुंड -दोष एक दूसरे में आ जाते है ठीक उसी प्रकार हम मन के माध्यम से जिश विषय से जुड़ते है उसके गुड-दोष हमारे अंदर आने लगते है, या उसका प्रभाव हमारे ऊपर पड़ने लगता है. जैसे दूध और पानी मिलता है तो पानी में दूध के गुड और दूध में पानी के गुड समा जाते है यह प्रक्रिया भी उसी प्रकार से घटित होती है.

सामान्यतः हम यह सुनिश्चित नहीं करते है कि किश विषय से हमें जुड़ना है और हमारा मन हमारी आशक्ति, स्वाभाव, संस्कार और आदतो के अनुसार विषयो के साथ हमें जोड़ता रहता है और हमारे जीवन में सत्गुड़ो और दुर्गुड़ो का समावेश होता रहता है और हमारे ब्यक्तित्व का निर्माण होता रहता है. हम बिलकुल अनजान से रहते है क्योकि हम अपने बारे में , अपने विचारो के बारे में बहुत कम सोचते है . हम अपना आंकलन कभी भी नहीं करते. हमें यदि किसी के बारे में सबसे कम ज्ञान है तो स्वयं के बारे में ही. हमें स्वयं के विसय में हमेसा गलतफहमी रहती है.स्वयं को जानने की कभी कोशिस ही नहीं करते.

यदि हम थोड़ा जागरूक रहे, थोड़ा सजग रहे तो हम विषयो का चुनाव खुद कर सकते है और अपनी इच्छा अनुसार अपने चरित्र का निर्माण कर सकते है.

हम मन के माध्यम से संगीत से जुड़ते है तो संगीतज्ञ बन जाते है, ब्यापार से जोड़ते है तो ब्यापारी हो जाते है, किसी खेल से जुड़ते है तो खिलाड़ी बन जाते है, स्वयं से जोड़ते है तो आत्मज्ञानी हो जाते है, पमात्मा से जोड़े तो परमात्मामय हो जाते है.

हमारे प्राप्त करने की मात्रा हमारे विषयो के साथ जुड़ाव की मजबूती पर निर्भर करती है. हम आज जो कुछ भी है हमारे स्वयं के चुनाव के कारण ही है और भविष्य में जो कुछ होंगे वह भी हमारा आज का चुनाव ही होगा.

इस लिये इस प्रक्रिया को समझे,हमेशा जागरूक रहे, सचेत रहे, सजग रहे मन के प्रति और विषयो का चुनाव खुद करे, विवेक पूर्ण होकर करे और अपने मन पर हमेशा नजर रखे,अपने मन को नियंत्रित करने का प्रयास बिलकुल न करे बस उस पर दृस्टि रखें, वाच रखें, आखिर हमारे स्वयं के निर्माण का सवाल है, स्वयं के उत्थान और पतन का सवाल है.
इन विषयो पर थोड़ा विचार अवस्य कीजिए.

Check Also

कुछ वक्त तेरे साथ

कुछ वक्त तेरे साथ, गुजर जाये तो अच्छा, माहोल ग़मे दिल का, बदल जाये तो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <strike> <strong>