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हजारो ऐसे रिस्तो को, निभाना छोड़ दी मैंने.

हज़ारों दर्द है दिल में, मगर सब मुस्कुराते हैं नहीं है प्यार फिर भी क्यों, मोहब्बत सब जताते हैं. नहीं चाहत है मिलने की, गले फिर भी लगाते हैं. दिखाकर दोस्ती का रंग , रंजिस सब छुपाते हैं. जहाँ रिस्ता नहीं होता, वहां रिस्ता बनाते हैं. जनम का है जहाँ नाता, वो नाता भूल जाते हैं. असल में और कुछ …

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उसे पाना कठिन नहीं है, कठिन तो खुद को खोना है.

उसे पाने की तमाम कोशिशे बेकार गयी, खुद को मिटाता गया और दूरिया मिटती गयी. परमात्मा को पाने के उपाय ढूढ़ते है लेकिन राह बड़ी कठिन है,जो पहले से ही प्राप्त है उसे पाने का उपाय क्या ढूढना है, यह तो बड़ी नासमझी सी बात है, यह तो बेकार का समय बर्बाद करने जैसा है .वास्तव में परमात्मा को पाने …

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कुछ वक्त तेरे साथ

कुछ वक्त तेरे साथ, गुजर जाये तो अच्छा, माहोल ग़मे दिल का, बदल जाये तो अच्छा. जबसे तुम्हे देखा है,यही सोंचता हूँ मै, तुम जैसा जिंदगी में, कोई आये तो अच्छा. इक बर्फ की चट्टान सी, सीने में जमीं है, तेरे सांसो की गर्मी से,पिघल जाए तो अच्छा. वैसे तो मुकद्दर से, शिकायत नहीं मगर, तकदीर जरा और संवर जाए …

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परमात्मा तो पास ही है हम ही दूर हो गए हैं.

कैसा आस्चर्य है हम उसी को ढूढ़ रहे है जो हमारे सब से करीब है , हम उसी को प्राप्त करने में असमर्थ है जो हमें पहले से ही प्राप्त है.हम उसी के नहीं हो सके जो हमेसा से हमारा है. वह करीब है, हम दूर है. वह तो सदैव उपलब्ध है हम ही उपलब्ध नहीं है. हमेसा ब्यस्त रहते …

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क्यों उदास हो जाऊं मैं.

माना की जंदगी में बहोत दर्द है मगर, खुशियां भी कम नहीं है, क्यों उदास हो जाऊ मैं. तुम मिलोगे या नहीं, ये तो पता नहीं है मुझे, उम्र बाकी है अभी , क्यों निरास हो जाऊ मैं. उठा हु जब भी लड़खड़ाके, जमे है पांव और भी मेरे, तूफ़ान देखकर, क्यों भला घबराऊं मैं. तुम तपाते रहो , ख़ाक …

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मेरा मन

हमारे जीवन में मन की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है. मन एक ऐसा माध्यम है जो हमें विषयो से जोड़ता है परन्तु विषयो का चुनाव हम स्वयं करते है. मन तो सिर्फ बीच की कड़ी होता है. जब हम मन के माध्यम से किसी विषय से जुड़ते है तो उस विसय के गुंड -दोस के अनुसार हमारे भीतर विचार आने …

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मैडिटेशन (ध्यान)

समाज में मैडिटेशन,ध्यान की अनेक विधिया प्रचलित है.आज- कल लोगों का ध्यान के प्रति काफी रूचि बढ़ रही है, अनेक लोग ध्यान से जुड़ रहे है और बहुत से लोग ध्यान से जुड़ना चाहते है. वास्तव में ध्यान कोई कठिन क्रिया नहीं है ध्यान तो हमारी स्वाभाविक अवस्था है परन्तु हम लगातार बाहरी दुनिया से जुड़े रहते है इसलिए हम …

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