Monthly Archives: March 2016

हजारो ऐसे रिस्तो को, निभाना छोड़ दी मैंने.

हज़ारों दर्द है दिल में, मगर सब मुस्कुराते हैं नहीं है प्यार फिर भी क्यों, मोहब्बत सब जताते हैं. नहीं चाहत है मिलने की, गले फिर भी लगाते हैं. दिखाकर दोस्ती का रंग , रंजिस सब छुपाते हैं. जहाँ रिस्ता नहीं होता, वहां रिस्ता बनाते हैं. जनम का है जहाँ नाता, वो नाता भूल जाते हैं. असल में और कुछ …

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